उल्हासनगर : हरेश अशोक बोधा
सिंधी समुदाय का चालीस दिवसीय अखंड ज्योती महोत्सव चालिया पर्व 9 सितंबर को समापन होगा, सिंधी समाज चालीस दिनों तक व्रत-उपवास रखकर पूजा-अर्चना के साथ सुबह-शाम झूलेलाल कथा का श्रवण भी करते है, इस महोत्सव में झूलेलाल मंदिरों को विशेष रूप से सुसज्जित किया जाता है, तथा मंदिरों में कथा, आरती, भजन-कीर्तनों के साथ धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन रहता है, दीप प्रज्वलन होते है, इन व्रतों के दिनों में महिलाएं प्रतिदिन चार या पांच मुखी आटे का दीपक अपने घरों से लेकर भगवान की पूजा करती है, साथ ही मनोकामनाएं मांगने वाली महिलाएं अपने घर से चावल, इलायची, मिस्त्री व लौंग लाकर झूलेलाल भगवान की आराधना करती है, मटकी और बहराणा साहेब का आयोजन भी होता है, जीवन को सुखी बनाने एवं लोक कल्याण के लिए यह व्रत महोत्सव मनाया जाता है, भगवान झूलेलाल के इस पर्व में जल की आराधना की जाती है, यह सिंधी समुदाय का सबसे बडा़ पर्व माना जाता है, ऐसा माना जाता है कि इन दिनों भगवान झूलेलाल वरूणदेव का अवतरण करके अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं, जो भी लोग चालीस दिन तक विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते है, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं, सिंधी समुदाय का सबसे बडा़ धार्मिक आयोजन भगवान झूलेलाल चालिया महोत्सव ही माना जाता है, 76 सालों से प्रज्वलित अखण्ड ज्योत को साक्षी मानते हुए किया जाने वाला 40 दिन का व्रत दुनिया के किसी भी मज़हबी व्रत से ज़्यादा लंबे अंतराल तक चलने वाला व्रत त्यौहार माना जाता है, 9 सितंबर 2024 को मटकी मेले का आयोजन सन्तों महात्माओं के सानिध्य में होगा।
उल्हासनगर कैम्प 5 के पुज्य चालिया साहब मंदिर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। इस दिन हजारों भक्त सिर पर मटकी रखकर जल देवता की पूजा कर मटकी को जल में प्रवाहित करते हैं।
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