महाराष्ट्र में चाचा-भतीजे के बीच होगी चुनावी जंग, आदित्य के खिलाफ मैदान में उतरे राज ठाकरे


मुंबई : दोबारा मुख्यमंत्री बनने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ‘महाविकास आघाड़ी’ (MVA) में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करके अपने ज्यादा से ज्यादा विधायकों को जिताने के लिए रणनीति पर काम कर रहे हैं। लेकिन उनके विधायक पुत्र आदित्य ठाकरे को जीतने के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि वर्ली विधानसभा चुनाव क्षेत्र में आदित्य के खिलाफ मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे मैदान में उतर गए हैं। इससे ऐसी अटकले लगने लगी हैं कि वर्ली विधानसभा क्षेत्र में ठाकरे बनाम ठाकरे की लड़ाई देखने को मिल सकती है।



आगामी विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में राज ठाकरे नए जोश के साथ चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। शनिवार को उन्होंने इसकी शुरुआत वर्ली विधानसभा क्षेत्र से की। राज ने वर्ली के जांबोरी मैदान पर वर्ली विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का खाका यानी ‘वर्ली विजन’ पेश किया। उनके एमएनएस वर्ली विजन को आदित्य के वर्ली ए+ कॉन्सेप्ट को चुनौती देने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।



बताया जा रहा है कि उनके वर्ली विजन को शिवसेना (शिंदे गुट) और बीजेपी का समर्थन मिल गया है। आदित्य के चुनाव क्षेत्र में राज की एंट्री से उद्धव की शिवसेना बनाम राज की मनसे के बीच जोरदार लड़ाई देखने को मिल सकती है।



फिर निशाने पर आए पर प्रांतीय


राज ठाकरे ने वर्ली के कार्यक्रम में एक बार फिर से परप्रांतियों का मुद्दा उठाया। मैं यहां बहुत लंबा भाषण नहीं दूंगा, ऐसा कहते हुए राज ने कहा कि वर्ली की बीडीडी चाल देखकर मुझे मेरा बचपन याद आता है। मैं बचपन में बालासाहेब और अपने पिता के साथ यहां आता था। बाद में उन्होंने फिर से परप्रांतियों का मुद्दा छेड़ दिया।


राज ठाकरे ने सभा में उपस्थित लोगों से आव्हान करते हुए कहा कि आप लोग रोते क्यों हो? आप महाराष्ट्र के मालिक हो। लेकिन दूसरे राज्यों से लोग आते हैं, झुग्गियां बनाते हैं और नए घर ले लेते हैं। क्योंकि समय रहते आप लोग कुछ करते नहीं हो। बाहर के लोगों का दांव पेच शुरू होता है और उन्हें जो चाहिए, वह मिल जाता है। यहां 2 परिवारों को एक पार्किंग यह अजीब मामला देखने को मिला। मूलतः आप लोगों का कोई महत्व ही नहीं बचा है।


मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि प्रोजेक्ट आने से पहले आपसे पूछा नहीं जाता है। ऐसा सिर्फ वर्ली में ही नहीं बल्कि पूरे महाराष्ट्र में चल रहा है। हम जो करेंगे वही आपको स्वीकार करना होगा। यही मौजूदा शासकों की भावना है। ऐन वक्त पर चार टुकड़े डालकर आप को शांत कर दिया जाता है।



पुणे-ठाणे का भी यही हाल


राज ने कहा कि एक पुणे का पांच पुणे बन गया। विकास की योजना बनती है। कोई टाउन प्लानिंग नहीं होती। हम वर्ग फुट में फंस गए हैं। बिल्डर पूरा ‘माल’ ले जाता है। एकजुट रहकर सभी को एक सुर में बोलना जरूरी हो गया है। राष्ट्र का निर्माण करते समय सौ-दो सौ वर्ष के बारे में सोचना पड़ता है। लेकिन आजकल शहरों की पहचान खो गई है। फ्लाईओवर और पुल शहरों की पहचान बन गए हैं। ऐसा कहते हुए उन्होंने कहा कि मैं विकास का विरोधी नहीं हूं लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है?


ठाणे की बात करते हुए राज ने कहा कि दुनिया में ठाणे जैसा कोई जिला नहीं है। लेकिन ठाणे के एक जिले में 8 नगर पालिकाएं हो गई हैं। राज्य के बाहर से सबसे ज्यादा लोग ठाणे जिले में आते हैं। बढ़ते शहरों के लिए सुविधाएं कहां से लाएं? यहां के स्थानीय लोग बेघर हो रहे हैं तो बाहरी लोगों को गोद में कैसे लें? ऐसा सवाल करते हुए राज ने एक बार फिर से परप्रांतियों पर निशाना साधा।




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